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टीएमयू इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स ने जाना डीप लर्निंग का महत्व

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टीएमयू इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स ने जाना डीप लर्निंग का महत्व

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ कम्प्यूटिंग साइन्सेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉज़ी- सीसीएसआईटी में डीप लर्निंग मॉडल एप्लिकेशनः चुनौतियां और भविष्य की दिशा पर गेस्ट लेक्चर में जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. रमेश कुमार अग्रवाल ने बतौर एक्सपर्ट की शिरकत

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के कंप्यूटर एवम् सिस्टम साइंसेज विभाग के सीनियर प्रोफेसर प्रो. रमेश कुमार अग्रवाल बोले, डीप लर्निंग का उपयोग हेल्थकेयर में कैंसर की समय पूर्व पहचान, ऑटोनोमस वाहनों में विजन सिस्टम, भाषा अनुवाद, वॉयस असिस्टेंट्स, साइबर सुरक्षा सरीखे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हो रहा है। उन्होंने कहा, डेटा की उपलब्धता और हार्डवेयर की प्रगति ने डीप लर्निंग का अविश्वसनीय विकास किया है। हालांकि डीप लर्निंग मॉडल्स में पारदर्शिता की कमी, डेटा की सुरक्षा, प्रशिक्षण लागत जैसी गंभीर समस्याएं अभी मौजूद हैं। साथ ही एथिकल एआई और वायस फ्री मॉडल निर्माण भी भविष्य की बड़ी चुनौतियां हैं। प्रो. रमेश तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ कम्प्यूटिंग साइन्सेज़ एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉज़ी- सीसीएसआईटी में डीप लर्निंग मॉडल एप्लिकेशनः चुनौतियां और भविष्य की दिशा पर आयोजित गेस्ट लेक्चर में बतौर एक्सपर्ट बोल रहे थे। इससे पूर्व मुख्य वक्ता का बुके देकर स्वागत और स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया गया। फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डीन प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने वोट ऑफ थैंक्स दिया।

एक्सपर्ट प्रो. अग्रवाल ने बताया, डीप लर्निंग तकनीक न्यूरल नेटवर्क्स के जरिए मशीन को सीखने की क्षमता प्रदान करती है। उन्होंने सीएनएन, आरएनएन और ट्रांसफॉर्मर जैसे मॉडल्स की व्याख्या करते हुए उनके प्रमुख उपयोगों पर प्रकाश डाला। भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए प्रो. अग्रवाल ने व्याख्यात्मक एआई, फेडरेटेड लर्निंग और न्यूरो-सिम्बोलिक एआई जैसे उभरते शोध क्षेत्रों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, ये तकनीकें न केवल डीप लर्निंग को अधिक प्रभावशाली बनाएंगी, बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी स्वीकार्य बनेंगी। अंत में प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें छात्रों ने प्रो. अग्रवाल से तकनीकी और शोध-संबंधी प्रश्न पूछे। प्रो. अग्रवाल ने स्टुडेंट्स को मल्टीडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाते हुए एआई में अनुसंधान करने का सुझाव दिया। संचालन डॉ. पराग अग्रवाल ने किया। प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी बोले, इस तरह के व्याख्यान विद्यार्थियों की सोच को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में विस्तार देते हैं। स्टुडेंट्स को नवाचार की दिशा में प्रेरित करते हैं। व्याख्यान में विभागाध्यक्ष डॉ. शंभू भारद्वाज, प्रो. अशोक कुमार, डॉ. नूपाराम चौहान, डॉ. रूपल गुप्ता, डॉ. मोहन विशाल गुप्ता, श्री अमित सिंह, श्री हरजिंदर सिंह के संग-संग इंजीनियरिंग के स्टुडेंट्स, रिसर्च स्कॉलर्स और फ़ैकल्टी मेम्बर्स मौजूद रहे।

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