Breaking News

भारत में कैटरैक्ट दो तिहाई ब्लाइंडनेस मामलों का कारण, मिथकों के चलते लोग टालते हैं सर्जरी

0 0
Share

भारत में कैटरैक्ट दो तिहाई ब्लाइंडनेस मामलों का कारण, मिथकों के चलते लोग टालते हैं सर्जरी

भारत में कैटरैक्ट बुजुर्गों में रोके जा सकने वाले ब्लाइंडनेस का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। जून माह में मनाए जा रहे कैटरैक्ट जागरूकता माह के अवसर पर सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स ने समय पर कैटरैक्ट का निदान और इलाज करवाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि इस रोके जा सकने वाले ब्लाइंडनेस से बचा जा सके।

कैटरैक्ट एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख का प्राकृतिक लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो जाती है और पढ़ने, गाड़ी चलाने या चेहरों को पहचानने में कठिनाई होती है। यदि समय पर इलाज न हो तो यह पूरी तरह ब्लाइंडनेस का कारण बन सकता है। आमतौर पर यह उम्र बढ़ने के साथ जुड़ा होता है लेकिन यह मधुमेह, आंख में चोट, स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग या अत्यधिक यूवी किरणों के संपर्क में आने से भी हो सकता है। दुर्भाग्य से भारत में कई लोग कैटरैक्ट का इलाज मिथकों और जागरूकता की कमी के कारण देर से कराते हैं।

कैटरैक्ट से जुड़े भ्रमों को दूर करते हुए सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल्स के चेयरमैन एवं मेडिकल डायरेक्टर डॉ. महिपाल सिंह सचदेव ने कहा, “कैटरैक्ट भारत में ब्लाइंडनेस का प्रमुख कारण है और यह 66% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसके बावजूद कई लोग मिथकों और अनावश्यक डर की वजह से सर्जरी कराने में देरी करते हैं। यह ज़रूरी है कि लोग तथ्यों को जानें और सही समय पर निर्णय लें। एक आम भ्रम यह है कि कैटरैक्ट केवल बुजुर्गों को होता है, जबकि यह मधुमेह, स्टेरॉयड के उपयोग, यूवी किरणों के संपर्क, चोट और यहां तक कि बच्चों में भी हो सकता है। दूसरा भ्रम यह है कि कैटरैक्ट आंखों की दवा, खानपान या व्यायाम से ठीक हो सकता है, जबकि वैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि इसका एकमात्र प्रभावी इलाज सर्जरी है।”

डॉ. महिपाल ने यह भी कहा कि “दृष्टि के अत्यधिक बिगड़ने तक सर्जरी का इंतजार करना गलत है। जल्दी सर्जरी कराने से बेहतर नतीजे और जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है। आज की आधुनिक तकनीक से कैटरैक्ट की सर्जरी बेहद सुरक्षित है, यह स्थानीय एनेस्थीसिया के तहत होती है और दर्द रहित होने के साथ ही तेजी से ठीक होती है। आजकल की उन्नत इंट्राओक्युलर लेंस (IOL) तकनीक, जैसे एक्सटेंडेड डेप्थ-ऑफ-फोकस (EDOF) लेंस, दूर और पास दोनों की दृष्टि में सुधार करती है और चश्मे पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर देती है।“

सेंटर फॉर साइट ने अत्याधुनिक फेमटो लेजर-असिस्टेड कैटरैक्ट सर्जरी (FLACS) शुरू की है, जो ब्लेडलेस, कंप्यूटर-गाइडेड सर्जरी है और असाधारण सटीकता प्रदान करती है। इससे सर्जरी में हाथ से किए जाने वाले काम को कम किया जाता है, इलाज के बाद जल्दी आराम मिलता है और परिणाम और बेहतर होते हैं। साथ ही, मल्टीफोकल, टोरिक और एक्सटेंडेड डेप्थ-ऑफ-फोकस जैसे नवीनतम प्रीमियम लेंस लगाए जाते हैं जिससे मरीजों को चश्मे की जरूरत नहीं पड़ती।

सेंटर फॉर साइट अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीकों जैसे ऑप्टिकल बायोमेट्री और इमेज-गाइडेड सिस्टम का उपयोग करता है ताकि हर मरीज की आंख की प्रोफाइल के अनुसार व्यक्तिगत इलाज योजना बनाई जा सके और बेहतरीन देखभाल दी जा सके।
उन्नत उपचार के अलावा, यह अस्पताल समूह सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रमों, मुफ्त नेत्र जांच शिविरों और एनजीओ के साथ मिलकर ग्रामीण व पिछड़े इलाकों में जरूरतमंद लोगों तक सेवाएं पहुंचा रहा है। हजारों मरीजों, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों के बुजुर्गों को समय पर जांच और किफायती अथवा मुफ्त सर्जरी का लाभ मिला है।

कैटरैक्ट मुक्त भारत के अपने दृष्टिकोण के साथ, सेंटर फॉर साइट चिकित्सा उत्कृष्टता और सामुदायिक सेवा के बीच की दूरी को भर रहा है। करुणामयी सेवा, नवाचार और जन-जागरूकता के मिश्रण से यह समूह देशभर में लाखों लोगों की दृष्टि लौटाने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में लगातार योगदान दे रहा है।

About Post Author

editorkhabrilal

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
editorkhabrilal


Share