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पुलिस के सामने अपराधियों के हौसले बुलंद, क्या सिस्टम में कहीं छिपा है संरक्षण का साया

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पुलिस के सामने अपराधियों के हौसले बुलंद, क्या सिस्टम में कहीं छिपा है संरक्षण का साया

(ख़बरीलाल ख़ोज) मनीश बावा,रुद्रपुर : प्रदेश में बढ़ते अपराधों ने पुलिस व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लगातार हो रही घटनाओं ने आमजन के भीतर असुरक्षा की भावना को जन्म दिया है। हालात ऐसे हैं कि अपराधी न केवल खुलेआम वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, बल्कि पुलिस की मौजूदगी में भी कानून को चुनौती देने से नहीं हिचकते। सवाल यह है कि आखिर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं? क्या कहीं न कहीं सिस्टम के भीतर से उन्हें संरक्षण मिल रहा है?

पिछले कुछ महीनों में हत्या, लूट, बलात्कार और नशे के कारोबार जैसी घटनाओं में तेजी आई है। पुलिस की सक्रियता के बावजूद अपराधियों के हौसले कम होने का नाम नहीं ले रहे। वहीं कई मामलों में कार्रवाई का अभाव और ढीली जांच ने भी जनविश्वास को कमजोर किया है। जनता का मानना है कि जब तक कानून का डर नहीं होगा, तब तक अपराध पर लगाम लगाना मुश्किल है।

वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि राजनीतिक हस्तक्षेप, सिस्टम की कमजोरी और भ्रष्टाचार भी अपराध नियंत्रण में बड़ी बाधा हैं। कई बार थानों में पहुंचने वाली शिकायतें दबा दी जाती हैं या “ऊपर से निर्देश” का हवाला देकर कार्रवाई टाल दी जाती है। नतीजतन अपराधी निर्भीक होकर वारदातों को अंजाम देते हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अपराध पर अंकुश लगाने के लिए केवल सख्त कानून काफी नहीं हैं, बल्कि पुलिस को निष्पक्षता और जवाबदेही के साथ काम करने का अधिकार भी जरूरी है। जब तक पुलिस राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव से मुक्त होकर कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक “संरक्षण का साया” हटाना मुश्किल होगा।

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