Breaking News

शिक्षा 5.0 मॉडल का मूल उद्देश्य तकनीक को मानवता से जोड़ना

0 0
Share

शिक्षा 5.0 मॉडल का मूल उद्देश्य

तकनीक को मानवता से जोड़ना

 

 

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से एजुकेशन 5.0ः ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर एक दिनी वर्चुअली नेशनल सेमिनार में प्रस्तुत किए गए 40 शोध पत्र

 

 

धनमंजुरी यूनिवर्सिटी, मणिपुर के वीसी प्रो. डब्ल्यू सी सिंह ने कहा, शिक्षा 5.0 का मूल उद्देश्य तकनीक को मानवता से जोड़ना है। यह शिक्षा प्रणाली स्टुडेंट्स को न केवल दक्ष बनाती है, बल्कि उन्हें सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक रूप से भी सजग नागरिक बनाती है। साथ ही बोले, शिक्षकों की भूमिका बदल रही है। टीचर्स को अब नई सोच, डिजिटल दक्षता, संवेदनशीलता आदि के साथ स्टुडेंट्स का मार्गदर्शन करना होगा। प्रो. सिंह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से एजुकेशन 5.0ः ए न्यू पैराडाइम इन ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन पर आयोजित वर्चुअली नेशनल सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस सेमिनार में देशभर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविदों, शोधार्थियों एवम् विद्यार्थियों ने भाग लिया। सेमिनार का मकसद वर्तमान शिक्षा प्रणाली को शिक्षा 5.0 के आलोक में पुनः परिभाषित करना और शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं में नवाचार को बढ़ावा देना रहा है। सेमिनार में 40 प्रतिभागियों ने भावनात्मक बुद्धिमत्ता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, माइक्रोलर्निंग, और शिक्षकों के लिए डिजिटल मंच जैसे समसामयिक एवम् प्रभावशाली विषयों पर शोध प्रस्तुत किए।

 

 

इससे पूर्व जय मिनेेश आदिवासी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. (डॉ.) डीपी तिवारी बतौर मुख्य वक्ता ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, शिक्षा 5.0 केवल तकनीकी शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो स्टुडेंट्स के समग्र विकास पर केंद्रित है। यह मॉडल छात्र-छात्राओं को केवल ज्ञान नहीं देता, बल्कि उन्हें मानवीय मूल्य, नैतिकता, सामाजिक उत्तरदायित्व, रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों से संपन्न करता है। यह मॉडल डिजिटल तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नवाचार के साथ-साथ मानवीय भावनाओं और सामाजिक जुड़ाव को भी महत्व देता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा 5.0 भविष्य की जरूरत है, जिससे हम अपने विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर सक्षम, सहनशील और नवोन्मेषी नागरिक बना सकें। डॉ. बीआर आंबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली के डीन एकेडमिक्स अफेयर्स प्रो. सत्यकेतु सांकृत बोले, रामायण जैसी प्राचीन भारतीय गाथाओं को एआई से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमान जी की संचार क्षमता, लक्ष्मण रेखा की सुरक्षा प्रणाली, पुष्पक विमान जैसी अवधारणाएं आज की एआई तकनीक की प्रेरणाएं हो सकती हैं। जेएनयू, दिल्ली के स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज़ के प्रो. रामनाथ झा ने अपने शिक्षा 5.0 की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा, आज की शिक्षा प्रणाली में तकनीक, नैतिकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का संतुलन अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा 5.0 इसी संतुलन की दिशा में एक प्रभावशाली कदम है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को केवल तकनीकी दक्षता ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक उत्तरदायित्व और नैतिक मूल्यों की भी आवश्यकता है।

 

 

सेमिनार के प्रारम्भ में टीएमयू के डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह ने मुख्य अतिथियों और सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, शिक्षा 5.0 की अवधारणा आज के वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत प्रासंगिक है। शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अब यह कौशल, नवाचार, संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता के समन्वय से संचालित हो रही है। प्रो. सिंह ने उम्मीद जताई, यह सेमिनार प्रतिभागियों के लिए ज्ञानवर्धक, प्रेरणादायी और दूरदृष्टि देने वाला सिद्ध होगा। सेमिनार के कन्वीनर एवम् प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार जैन ने सम्मेलन की थीम शक्षा 5.0ः शिक्षा परिवर्तन में एक नया प्रतिमान का औपचारिक परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा, इस सेमिनार का उद्देश्य शिक्षकों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाकर शिक्षा में हो रहे परिवर्तनों पर विचार-विमर्श करना है, ताकि भारत की शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप सशक्त बनाया जा सके। समापन सत्र में डॉ. पावस कुमार मंडल ने सभी मेहमानों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया, जबकि सेमिनार की संयोजक डॉ. सुगंधा जैन और डॉ. रूबी शर्मा ने संचालन की जिम्मेदारी निभाई।

About Post Author

editorkhabrilal

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
editorkhabrilal


Share