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टीएमयू आईकेएस की वर्चुअली राष्ट्रीय संगोष्ठी में हॉलिस्टिक हैल्थ पर मंथन

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टीएमयू आईकेएस की वर्चुअली राष्ट्रीय
संगोष्ठी में हॉलिस्टिक हैल्थ पर मंथन

 

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के भारतीय ज्ञान परम्परा- आईकेएस केंद्र की ओर से ऑनलाइन छठा राष्ट्रीय कॉन्क्लेव हुआ। इस सम्मेलन में योग, आयुर्वेद, ध्यान सरीखी प्राचीन भारतीय चिकित्सा विधाओं को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ एकीकृत कर समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण को लेकर वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने पर चर्चा हुई। एएलसीएचएमआई, बेंगलुरु के सीईओ विनय कुलकर्णी ने भारतीय संस्कृति में भोजन की भूमिका को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक पोषण के रूप में रेखांकित करते हुए आयुर्वेद, संगीत, ध्यान, ध्वनि, चिकित्सा और वैदिक मंत्रों की ऊर्जा चक्रों पर प्रभावशीलता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। टीआईएसएस, मुंबई के प्रो. डॉ. धनंजय मंकर बोले, आज की जीवन शैली में तनाव, असंतुलित आहार और शारीरिक निष्क्रियता के कारण अनेक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इनका समाधान आयुर्वेद एवम् योग के माध्यम से संभव है। डॉ. मंकर ने अष्टांगयोग के आठ अंगों के जरिए मानसिक, शारीरिक और आत्मिक संतुलन को आवश्यक बताया। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के संग राष्ट्रीय कॉन्क्लेव का शुभारम्भ हुआ। टीएमयू के कुलपति प्रो. वीके जैन ने विषय की समसामायिक प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा, यह विमर्श केवल शास्त्र तक सीमित नहीं, बल्कि वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की रसायन विभाग की प्रो. नीरा राघव ने चिकित्सा को एक समग्र जीवन शैली के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया, आरोग्य भोजन पर आधारित है। रसोई ही औषधालय है। उन्होंने प्राचीन पद्धतियों को प्रकृति के अनुरूप और संतुलित जीवन का मार्गदर्शक बताया। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा रावत चिटनिस ने एकीकृत चिकित्सा में विटामिन डी की भूमिका और उसकी एलोपैथिक विकल्पों की तुलना में सुरक्षा और प्रभावशीलता पर प्रकाश डालते हुए आयुर्वेद, योग और एलोपैथी के समन्वय से स्वास्थ्य की समग्रता पर बल दिया। यूएसए की सुश्री सुरभि पांड्या ने तनाव और भावनात्मक असंतुलन से निपटने हेतु सेल्फ रिलैक्सेशन एवम् सकारात्मक ऊर्जा पर आधारित जीवन शैली की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन अपनी क्षमता के अनुसार सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। टीएमयू आईकेएस की समन्वयक डॉ. अलका अग्रवाल ने विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की। टीएमयू की लॉ फैकल्टी डॉ. माधव शर्मा ने यूनिवर्सिटी की बहुविषयक और शोध केंद्रित प्रकृति पर प्रकाश डाला।

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