
गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों के लिए पावन संदेश
रुद्रपुर: प्रिय शिष्यो,गुरु पूर्णिमा का यह दिव्य अवसर आत्मा के प्रकाश का पर्व है। यह वह दिन है जब हम जीवन के हर उस स्रोत को नमन करते हैं, जिसने हमें दिशा, चेतना और सार्थकता दी। इस दिन मेरा मन आप सभी की ओर सहज ही खिंचता है, क्योंकि आप केवल शिष्य नहीं, बल्कि मेरे आत्मिक परिवार हैं।
गुरु पूर्णिमा पर सबसे पहले हम अपने माता-पिता को प्रणाम करें। वही हमारे जीवन के प्रथम गुरु हैं। माँ से हमने प्रेम, करुणा और सहनशीलता सीखी, और पिता से परिश्रम, अनुशासन तथा आत्मबल। उनका जीवन ही हमारी पहली पाठशाला रहा है।
फिर आते हैं हमारे शिक्षक — जिन्होंने विद्यालयों, संस्थानों या जीवन की राहों में हमें विद्या और विवेक का उपहार दिया। उन शिक्षकों का योगदान हमारी बुद्धि को विकसित करने और हमारे व्यक्तित्व को संवारने में अनमोल रहा है।
इसके पश्चात हमें याद करना चाहिए जीवन के उन अनुभवों को जो हमारे अदृश्य गुरु रहे। जब हम किसी स्थान पर कार्य करते हैं, वहाँ का वातावरण, सहकर्मी, हमारे वरिष्ठ और समाज — सभी हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं। कोई सहनशीलता सिखाता है, कोई समय का मूल्य समझाता है, तो कोई आत्मावलोकन कराता है।
और अंत में, हम स्मरण करते हैं सद्गुरु का — वह आत्मा जो हमें आत्मा से परमात्मा की यात्रा पर ले जाती है। गुरु केवल शरीर नहीं, वह तत्व है जो हमारे भीतर चेतना जागृत करता है।
*गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।*
*गुरुः साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्रीगुरवे नमः।।*
इस पवित्र अवसर पर मैं, स्वामी शिवानंद जी महाराज, अपने समस्त शिष्यों को यह संदेश देना चाहता हूँ कि —
आप जीवन में श्रद्धा, सेवा और विनम्रता को अपनाएँ।
केवल बाहरी गुरु नहीं, अपने अंतरात्मा में स्थित गुरु को भी पहचानें।
जो जीवन सिखाए, उसका सम्मान करें।
और अपने कर्म, विचार व व्यवहार में गुरु के आदर्शों को जीवंत करें।
आपके जीवन में सुख, शांति, ज्ञान और भक्ति का सतत प्रवाह बना रहे। यह मेरा आशीर्वाद है।
ॐ नमः गुरुभ्यो।
गुरु पूर्णिमा की आप सभी को मंगलमय शुभकामनाएँ।
*आपका गुरु,*
*स्वामी शिवानंद जी महाराज*
*(दूधिया बाबा, सन्यास आश्रम, रुद्रपुर, उत्तराखण्ड)*



