Breaking News

देवभूमि ऊधम सिंह नगर में नशे का जहर गहराता जा रहा है — पुलिस के सख्त अभियान के बावजूद क्यों नहीं टूट रही तस्करी की जड़ें? क्या नशा मुक्ति की आड़ में कोई और खेल चल रहा है..?

0 0
Share

रिपोर्ट: संवाददाता,
रुद्रपुर:  देवभूमि को नशे से मुक्त करने का सपना दिन-ब-दिन धुंधला पड़ता जा रहा है। ऊधम सिंह नगर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा द्वारा चलाया जा रहा “नशा मुक्त देवभूमि अभियान” जहां एक ओर जागरूकता की तस्वीरें पेश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर नशे का जाल और गहराता दिखाई दे रहा है। सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस अभियान के पीछे कोई बड़ा राज छिपा है, या फिर नशा मुक्ति की आड़ में कहीं कारोबार का नेटवर्क तो नहीं पनप रहा?

अभियान का शोर, लेकिन सड़कों पर नशे का व्यापार जारी
एसएसपी मणिकांत मिश्रा की टीम लगातार स्कूल-कॉलेजों में नशा विरोधी रैलियां निकाल रही है, नुक्कड़ नाटक हो रहे हैं, पोस्टर-बैनर लगाए जा रहे हैं। पुलिस दावा करती है कि सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। लेकिन हकीकत यह है कि मोहल्लों, कस्बों और गांवों में आज भी कच्ची शराब,स्मैक, चरस, गांजा और नशीली गोलियों की खुलेआम बिक्री हो रही है।

सीमावर्ती जिला, तस्करों की पसंदीदा राह
ऊधम सिंह नगर की भौगोलिक स्थिति भी नशे के फैलाव की बड़ी वजह है। नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमाओं से सटा यह जिला ड्रग तस्करों के लिए सबसे आसान रूट बन चुका है। सीमाओं की निगरानी के बावजूद नशे की खेप लगातार जिले में प्रवेश कर रही है।

जागरूकता या दिखावा?
आलोचकों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई अक्सर “निचले स्तर” के सप्लायरों तक सीमित रहती है। असली सरगना पकड़ से बाहर रहते हैं। कई बार आरोप यह भी लगते हैं कि कुछ प्रभावशाली लोग या स्थानीय माफिया इस कारोबार को संरक्षण देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है — क्या “नशा मुक्ति अभियान” वास्तव में ईमानदार पहल है या महज़ एक इमेज बिल्डिंग ड्राइव?

बेरोजगारी और युवाओं का भटकाव
जिले के कई युवा रोजगार न मिलने और अवसाद के चलते नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। पुलिस की कार्यवाही केवल पकड़े गए व्यक्तियों तक सीमित है, जबकि रिहैब सेंटर, काउंसलिंग और पुनर्वास की व्यवस्था बेहद कमजोर है।

जनता का सवाल — कब थमेगा यह जहर?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक पुलिस और प्रशासन मिलकर जमीनी स्तर पर नशे की जड़ों तक नहीं पहुंचेंगे, तब तक कोई अभियान कारगर नहीं होगा। जनता को अब सिर्फ भाषण नहीं, बल्कि नतीजे चाहिए।

निष्कर्ष:
“नशा मुक्ति देवभूमि” का नारा तभी सार्थक होगा जब कार्रवाई सिर्फ फोटो से आगे बढ़कर नशे के असली कारोबारियों तक पहुंचे। वरना ऊधम सिंह नगर में यह अभियान भी एक और “कागजी जंग” बनकर रह जाएगा।

About Post Author

editorkhabrilal

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
editorkhabrilal


Share