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विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत बुधवार को राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शांतिपुरी में कृषक संगोष्ठि का आयोजन किया गया

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विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत बुधवार को राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शांतिपुरी में कृषक संगोष्ठि का आयोजन किया गया

किच्छा विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत बुधवार को राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शांतिपुरी में कृषक संगोष्ठि का आयोजन किया गया। संगोष्ठि में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए सूबे के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री भारत सरकार के नेतृत्व में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत कृषक बन्धुओ को उनके द्वार आकर कृषि से सम्बन्धित योजनाओं एवं कृषि तकनीकों की जानकारी दी जा रही है ताकि कृषक उन्नत बीजों के साथ ही कृषि के नये तकनीको को अपनाकर लाभ उठा सकंें व अपनी आर्थिकी मजबूत कर सकें।
कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। देश के प्रधानमंत्री जितनी सैनिकों की चिन्ता करते है उतना ही हमारे किसानो का सम्मान व चिंता करते है। किसान हमारा अन्नदाता है। किसानों की आर्थिकी मजबूत होगी तो देश मजबूत होगा। उन्होने कहा विकसित कृषि संकल्प अभियान के अन्तर्गत 06 हजार से अधिक कृषि वैज्ञानिक कृषक बंघुओं के बीच जाकर उन्हे जागरूक कर रहे है व उन्हे नयी कृषि तकनीकों की जानकारी दे रहे है। उन्होने कहा सरकार द्वारा किसानों को किसान सम्मान निधि, मृदा परीक्षण, कृषि यंत्रो व उर्वरकों में राज्य सहायता प्रदान कर रही है। उन्होने कहा कृषक अपने भूमि का मृदा परीक्षण अवश्य कराये उसी के अनुसार उत्पादन करे व उर्वकों का उपयोग करें। उन्होने कहा सरकार जनता के द्वार जाकर योजना का लाभ पहुंचा रही है व नवाचार की जानकारी दे रही है। इसलिए कृषक बन्धु जागरूक होकर व कृषि के नयी कृषि तकनीकों व नवाचारों को अपनाकर उत्पादन बढ़ाये व अपनी आर्थिकी मजबूत करें।
संगोष्ठि में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि मैदानी क्षेत्रों में ढैंचा या सनई की हरी खाद की फसलों को मई माह में बुआई करके 45 से 60 दिन बाद रोपाई से पूर्व खेतों में मिलाने से 80 से 100 किग्रा नाईट्रोजन प्रति हैक्टयर की बचत की जा सकती है। इसके अलावा सिंचित क्षेत्र में जहॉ खेत में प्रायः पानी रहता हो वहा जैव उर्वरक-नील हरित शैवाल/अजोला का प्रयोगकर नाईट्रोजन वाली उर्वरकों की बचत की जा सकती है। उन्होने कहा कि मृदा परीक्षण अवश्य कराया जाये, उसी के अनुसार उर्वरक का प्रयोग किया जाये।
संगोष्ठि में क्षेत्रीय विधायक तिलकराज बेहड़, मेयर विकास शर्मा, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला द्वारा कृषकों को सम्बोधित किया गया। रेखीय विभागों द्वारा कृषक बन्धुओं की योजनाओं की विस्तृत जानकारियां दी गयी व खरीफ मौसम की उन्नत उत्पादन तकनीक एवं विभागीय योजनाओं सम्बन्धित पुस्तिका का वितरण किया गया। गोष्ठि में लगभग 300 किसान बन्धुओं ने प्रतिभाग किया। संगोष्ठि में कृषि, उद्यान, पशुपालन, सहकारिता, डेरी, मत्स्य, रेशम, फल प्रसंस्करण, रीप, स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्टॉल लगाकर जानकारियां दी गयी।
संगोष्ठि में कुलपति पंतनगर विश्वविद्यालय डॉ0 मनमोहन सिंह चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष विवेक सक्सेना, पूर्व प्रधान किशन कोरंगा, प्रीतम कोरंगा, मोहन सिंह कोरंगा, उप जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्र, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ0 अभय सक्सेना, सहायक निदेशक डेरी आरएस चौहान सहित पूर्व सैनिक व किसान बन्धु मौजूद थे।

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