
( ख़बरीलाल ख़ोज ) मनीश बावा रुद्रपुर : समाज में नशों का विषय सबसे चर्चित है। कई मां-बाप नशे के कारण मारे गए अपने बेटे के शव पर विलाप करते हुए नजर आते हैं। दूसरी ओर नशे की आपूर्ति के लिए नशे का आदी व्यक्ति कोई भी अपराध करके पैसे का इंतजाम कर रहा होता है। इस खतरनाक व्यवसाय में अब महिलाओं की अच्छी-खासी गिनती मे शामिल हो गई है।
निचले स्तर पर रोटी के लिए नशों का छोटा व्यापारी जब कभी पुलिस के डर से अपने पेशे को छोडऩे का यत्न करता है तो स्वार्थ हितों वाली राजनीति तथा प्रबंधकीय मशीनरी उसको ऐसा करने की इजाजत नहीं देती। प्रत्येक सरकार नशे के कारोबार को प्राथमिकता के आधार पर खत्म करने का नारा देकर सत्ता में आती है परन्तु कुछ समय बाद ही आशावादी लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है क्योंकि नशे का यह धंधा निरन्तर जारी रहता है।
दो-चार नशा तस्करों को पकड़कर खूब प्रचार किया जाता है कि नशा रोकने के लिए बड़े स्तर पर सरकार कार्रवाई कर रही है परन्तु इसका नतीजा पहले से भी ज्यादा नशों के कारण हुई मौतों तथा नशेड़ी लोगों की गिनती में बढ़ौतरी के रूप में होता है।



